II संकट मोचन हनुमान अष्टक II

बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों I 
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात  न टारो I 
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो I 
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो I को – १

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो I 
चौंकि महामुनि साप दियो तब , चाहिए कौन बिचार बिचारो I 
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो I  को – २

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो I 
जीवत ना बचिहौ हम सो  जु , बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो I 
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब , लाए सिया-सुधि प्राण उबारो I  को – ३

रावण त्रास दई सिय को सब , राक्षसी सों कही सोक निवारो I 
ताहि समय हनुमान महाप्रभु , जाए महा रजनीचर मरो I 
चाहत सीय असोक सों आगि सु , दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो I  को - ४ 

बान लाग्यो उर लछिमन के तब , प्राण तजे सूत रावन मारो I 
लै गृह बैद्य सुषेन समेत , तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो I 
आनि सजीवन हाथ  दिए तब , लछिमन के तुम प्रान उबारो I को - ५ 

रावन जुध अजान कियो तब , नाग कि फाँस सबै सिर डारो I 
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल , मोह भयो यह संकट भारो I 
आनि खगेस तबै हनुमान जु , बंधन काटि सुत्रास निवारो I  को – ६

बंधू समेत जबै अहिरावन,  लै रघुनाथ पताल सिधारो I 
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि , देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो I 
जाये सहाए भयो तब ही , अहिरावन सैन्य समेत संहारो I को - ७ 

काज किये बड़ देवन के तुम , बीर महाप्रभु देखि बिचारो I 
कौन सो संकट मोर गरीब को , जो तुमसे नहिं जात है टारो I 
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु , जो कछु संकट होए हमारो I  को - ८ 

लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर I 
वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर II