प्यार की एक नयी कहानी - रौशन केशरी

आओ तुम्हे सुनाता हूँ, प्यार की एक नयी कहानी,
कुछ होंटो की जुबानी, कुछ आँखों की जुबानी,
मोहब्बत नाम था उस शख्स का, जिसकी है ये कहानी,
थोड़े आंसू, थोड़े पागलपन, कुछ विश्वासघात की निशानी,
आओ तुम्हे सुनाता हूँ, प्यार की एक नयी कहानी।

शोक, हंसी और चंचल थी, जिसकी मधुर वाणी,
हूर, परी या अप्सरा कहूं, या कहूँ हुस्न की रानी,
बंद झरोखों में पाया था, जब थी वो कोई अन्जानी,
खिलखिला उठता था मेरा मन, जब वो करती थी कोई नादानी
आओ तुम्हे सुनाता हूँ, प्यार की एक नयी कहानी।

अक्सर मिलते बतियाते थे, चाहे धुप हो या हो पानी,
आती थी मिलने बहाने बना कर, रूप धरा ठिठियानी,
मैं भी उससे मिलने जाता था, पर सच था मेरा सानी,
समय की धुरी पर नाच हमारा, रिश्ता हुआ सयानी,
आओ तुम्हे सुनाता हूँ, प्यार की एक नयी कहानी।

जब कभी कहता मुझे खो दोगी, झरता था उसके आँखों से पानी,
घरवालो से अपने लड़ती थी वो, बनने को मेरी दिलवर-जानी,
हमने अब ये तय कर लिया, पास उसे है अपने लानी,
जिवन उसका भर दूँ खुशियों से, बात है ये मैंने ठानी,
आओ तुम्हे सुनाता हूँ, प्यार की एक नयी कहानी।

घर छोड़ वो मेरे पास आ गयी, बदल गयी ये कहानी,
धोखा मिला उसके घरवालो से, तड़प हुई रूहानी,
कोई फिर मुझे उससे मिलवा दे, शायद बदल जाए ये कहानी,
सोच के उसकी बातों को, हर पहर दुखने लगी मेरी पेशानी,
आओ तुम्हे सुनाता हूँ, प्यार की एक नयी कहानी।

सारे वादे झूठे निकले उसके, झूठी निकली सारी वाणी,
बिछड़ गयी वो ऐसे जैसे, रूह अपनी कर जाए बेईमानी,
मास में बदले सारे दिन, उसकी ना कोई खबर ना कोई निशानी,
अंधियारे में लौ ढूंढ रहा, पर ना आग मिले ना पानी,
आओ तुम्हे सुनाता हूँ, प्यार की एक नयी कहानी।