कोई तुमसे मेरा नाम जो ले, कह देना, एक पागल लड़का था,
इस झूठी दुनियाँ में वो मुझसे, सच्ची मोहब्बत करता था।
मेरे रोने पे वो रो देता था, मेरी हंसी में, वो खुश हो लेता था,
जब सारे साथ छुड़ा लेते तो, चुपके से, वो साथ हो लेता था।
हिम्मत वाला था वो, पर मुझको खोने से डरता था,
कोई और नहीं था, मुझमें ही बस वो जीता-मरता था।
मुझसे मिलने के खातिर, मिलों का सफ़र तय करके आ जाता था,
जिस दिन मैं खाना ना खाऊ, उस दिन वो भी उपवास मनाता था।
गलती मेरी होने पर भी, माफ़ी की गुजारिश मुझसे करता था,
हर हाल में मैं हंसती जाऊ, इस कोशिश में वो रहता था।
मेरा हाथ पकड़ वो दुनिया से, लड़ने की बातें करता था,
मेरी हर मुस्कान के खातिर, कई तरीके आजमाया करता था।
मुझसे मिलने से पहले, वो दुनिया में बहूत अकेला था,
जब पहली बार उसे देखा, तो चेहरे पे दर्द का मेला था।
जब नींद मुझे नहीं आती, वो अपनी बाँहों में मुझे सुलाता था,
अपनी प्यारी बातों से वो, अक्सर मुझे रुलाता था।
कुछ मज़बूरी के चलते, जब मैंने उससे हाथ छुड़ाया था,
उसने ना कोई शिकायत की थी, बस धीरे से मुस्कुराया था।
उसका जीवन बिखरा था, पर मेरा ख्याल वो रखता था,
मेरी यादों के साए में, छुप-छुप वो हर पल रोया करता था।
वो पागल लड़का तन्हा ही, मेरी यादों से लड़ता है,
मेरे बिन जिंदा रहने की, वो नाकाम कोशिशें करता है।
वो आज भी मुझपे मरता है, वो कल भी मुझपे मरता था,
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले, कह देना, एक पागल लड़का था।