बहूत हो चूका लड़ना-मरना, अब तक मेरी बारी थी,
ढूँढा मैंने थोड़ी ख़ुशी, पर अब तो मेरी बारी बीत चुकी।
जो वचन दिया था मैंने उसको, उसकी मैंने इज्जत की,
जब आई मेरी किस्मत, कह गयी तेरी बारी बीत चुकी।
उसे मैंने जज्बा दिया, वो भी मेरी बारी थी,
हिम्मत के जो फूल खिले, तो मेरी बारी बीत चुकी।
उठना है उसे काफी ऊँचा, किस्मत उसकी अपनी है,
याद किया जो दिल से उसको, मेरी बारी बीत चुकी।
ना खाया, ना सोया मैंने, उसकी ही परवाह की थी,
शर्त जो उसने ऐसा रखा, मेरी बारी बीत चुकी।
अपनी हर मुस्कान से मैंने, उसकी हर ख्वाहिश दे दी,
आया एक पल के लिए ख़ुशी मुझे, पर मेरी बारी बीत चुकी।
ना आये उसे गम कभी भी, गम उसने कई खाएं है,
जब आये कोई काली रातें, कह दे, मेरी बारी बीत चुकी।
उम्र बहूत अभी कच्ची सी है, हिम्मत बड़ी दिखाई है,
किस्मत भी क्या खूब मिलायी, अब उसकी बारी आई है।