मैं जानता हूँ - रौशन केशरी

बहुत दिन से मैंने कुछ नहीं लिखा…
ज़िद थी कि इस बार लिखूंगा तो केवल खुशी में लिपटे शब्द…
पर ऐसा हो ना सका…
मैं ये भी नहीं कह सकता, कि मुझे नहीं मालूम क्यों मेरी कलम,
ख़ुशनुमाई छोड़कर अंधेरी ऊबड़-खाबड़ राहों पर चलने लगती है…
मैं ये नहीं कह सकता, क्योंकि जवाब मैं जानता हूँ…