ज्यादातर लोगों के लिए, भावनाएं सबसे प्रधान होती हैं। वे जीवन के किसी और पहलू के बजाय भावनाओं के जरिये ज्यादा आसानी से तीव्रता के चरम पर पहुंच सकते हैं। भावना या जोश के मार्ग के लिए एक तरह की बेफिक्री या उन्मुक्तता की जरूरत होती है। जैसा कि फ्रांसिस बेकन ने कहा था, ‘प्रेम करना और बुद्धिमान होना, एक साथ असंभव है।’ अगर आप स्मार्ट और सही होना चाहते हैं, तो प्रेम कभी नहीं होगा। जो लोग प्रेम में पड़ना चाहते हैं, उन्हें बेवकूफ समझे जाने के लिए, आघात सहने के लिए तैयार रहना चाहिए। यही वो चीज है जो लोगों को डराती है, लोगों को दूर भगाती है। ऐसा नहीं है कि इसके बिना आप कमजोर नहीं हैं या आपको चोट नहीं पहुंच सकता। फर्क सिर्फ इतना है कि जब आप प्रेम में पड़ते हैं, तो आप स्वेच्छा से कमजोर होना चाहते हैं। बाकि आप चाहे कितने भी सुरक्षित क्यों न हों, जीवन की घटनाएं आपको वैसे भी अघात पहुँचा सकती हैं। प्रेम में आप अपनी इच्छा से ऐसी स्थिति में जाते हैं।
इसका फायदा यह है कि जोश या जुनून के रास्ते पर चलने के लिए बहुत ज्यादा विद्वता, समझ या साधना की जरूरत नहीं है। इसके लिए बस एक सूत्री प्रेम संबंध की जरूरत होती है, जो किसी भी वजह से न बदले। अब आपको इस तरह के प्रेम संबंधों की आदत हो चुकी है, जहां अगर आपको बदले में कुछ मिलता है, तो आपका प्रेम संबंध चलता है। जैसे ही आपको लगता है कि आपको कुछ नहीं मिल रहा, प्रेम संबंध समाप्त हो जाता है। यह प्रेम संबंध नहीं, लेन-देन है, व्यापार है। अगर आप दलाल स्ट्रीट में कारोबार कर रहे हैं, तब तो फिर ठीक है। लेकिन अगर आप अपने भीतर ही व्यापार कर रहे हैं, तो यह विनाशकारी है। यह जीवन को नष्ट कर देता है। आम तौर पर, खुद को आध्यात्मिक कहने वाले लोग कहते हैं कि पैसे से जीवन नष्ट हो जाता है, मगर ऐसा नहीं है। जब आपके जीवन में कोई जोश नहीं होता और आपकी भावनाओं में कोई उत्साह नहीं रह जाता, तब आपका जीवन नष्ट हो जाता है। यह उसे सुरक्षित करता है, मगर आप अपने जीवन को जितना अधिक सुरक्षित करने की कोशिश करते हैं, आप मौत की ओर उतने ही उन्मुख हो जाते हैं क्योंकि दुनिया में सबसे सुरक्षित चीज मौत है। अगर आप जीवित हैं, तो आपके साथ कुछ भी हो सकता है।
जो व्यक्ति किसी चीज को अच्छा या बुरा नहीं मानता, जिसके लिए, चाहे कुछ भी हो जाए, सब ठीक होता है, वह एक सच्चा भक्त होता है। वह एक सच्चा प्रेमी होता है। चाहे जो कुछ भी हो जाए, उसका एक ही लक्ष्य होता है। यह हिसाब-किताब करने वाले लोगों को मूर्खतापूर्ण लग सकता है। जो लोग हिसाब-किताब करते हैं, वे आरामदेह जीवन जी सकते हैं मगर वे अस्तित्व का आनंद कभी नहीं जान पाएंगे। जो लोग हिसाब-किताब नहीं करते, जो जोश के साथ जीवन जीते हैं, वे अस्तित्व के आनंद को जानते हैं। अगर आप हमेशा इस हिसाब-किताब में उलझे रहते हैं कि आप कितना लगाते हैं और आपको कितना वापस मिलता है, तो आपको सिर्फ सुख-सुविधाएं ही मिल पाएंगी, जीवन का आनंद नहीं।